जयपुर में पतंगबाज़ी भाग २

उसका भाई साढ़े दस बजे ऑफिस जाने के लिए तैयार हो कर चला गया और जाते हुए बोल गया- जब तक इच्छा हो, उड़ा लेना और किसी चीज की जरुरत हो तो मांग लेना !
मैंने कहा- ठीक है…
भैया के जाने के करीब एक घंटे बाद रक्षिता ऊपर आई, बोली- जल्दी पतंग उतारो ! मुझे तुम्हें कुछ दिखाना है जल्दी नीचे आओ…
मैंने जल्दी से पतंग उतारी और बोला- क्या दिखाना है?
बोली- अंदर तो चलो !
और वो मुझे अपने कमरे में ले गई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- रोहित, मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो ! मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ।
ऐसा एकदम से सुनकर मैं तो दंग रह गया। फिर सोचा कि अब जल्दी चूत मिल जाएगी।
मैं बोला- मुझे भी तुम्हें देखते ही प्यार हो गया था ! चलो, अब मैं ऊपर जा रहा हूँ, भाभी ने देखा तो मुश्किल हो जाएगी।
वो बोली- वो पड़ोस में गई हैं…
मुझे एक मस्त किस कर ना…
मैं बोला- ले मेरी जान !
और कसके उसे पकड़ा और एक लम्बा किस दिया.. किस देते देते मैं उसके स्तन भी दबा रहा था। अब वो गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी गांड दबाना शुरू किया।
तभी अचानक घंटी बजी, मैं तो सीधे छत पर भाग गया और पतंग उड़ाने लगा।
अगले दिन मकर संक्रान्ति थी..
मैं अगले दिन सुबह 8 बजे छत पर जाने वाला था पर कोहरा होने के कारण मैं 9-30 पर छत पर गया…अपनी नहीं रक्षिता की..
उस दिन उसने गहरे नीले रंग की कसी जींस पहनी थी और गुलाबी रंग का कसा टॉप पहना था। क्या मस्त लग रही थी ! मुझे तो इच्छा हो रही थी अभी बाहों में लेकर चोदना शुरू कर दूँ..
वहाँ पर करीब 12 बजे तक रक्षिता के भैया पतंग उड़ा कर अपने दोस्त के घर चले गए साथ में भाभी को भी लेकर गए…
मुझे तो मजा आ गया …
मुझे अब रक्षिता को चोदने का मौका मिलने वाला था..
भैया के जाते ही मैं रक्षिता से लिपट गया …और उसे बहुत लम्बा किस दिया … और गांड पकड़ कर उसे अपने हाथों से उठा लिया …
थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया .. उसकी जींस में से ही चूत को सहलाने लगा ….उसे मजा आने लगा और वो आहें भरने लगी…
मैं अब उसके स्तनों को भी टॉप में से ही दबाने लगा थोड़ी देर में उसकी चूत गीली हो गई…
वो बोली- जानू ! मेरी चूत में से मस्त माल निकल चुका है… अब आप अपने मस्त से लौड़े से मेरी चूत का उदघाटन करोगे…
मैं बोला- जानेमन, इतनी जल्दी भी क्या है … पहले पूरे मजे तो ले लो ! फिर तेरी चूत का भी उदघाटन करेंगे …
वो बोली- आप जैसा कहें मेरे जानू…
फिर मैंने उसे फिर से किस किया और..उसके वक्ष को उसके टॉप से आज़ाद किया… उसके स्तन क्या तो मस्त थे ! मैंने उसके चुचूक को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया…
उसे बहुत मजा आया और वो आहें भरने लगी- जानू, तुम तो बहुत मस्त चूसते हो … चूसते रहो…
फिर मैंने उसकी जींस को उतार फेंका, अब वो सिर्फ पैंटी में थी और बहुत मस्त लग रही थी उसकी काली पैंटी ! वो बिल्कुल अप्सरा लग रही थी…
फिर मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत को चूमने लगा … उसकी चूत में से मस्त खुशबू आ रही थी… वो आहें भरने लगी- अआहछ आह्ह
फिर मैंने उसे कहा- जान अब मुझे भी तो इन कपड़ों से आजाद करो !
बोली- ये लो जानू…
फिर उसने मेरा टी-शर्ट उतार फेंका और मेरे सीने पर चूमने लगी…
मुझे काफी मजा आ रहा था, साथ साथ मैं उसकी चूचियाँ भी दबा रहा था..
फिर उसने मेरी जींस उतारी और बोली- अब यह मस्त लंड आज़ाद होगा…
और उसने मेरा अन्डरवीयर उतारा और मेरे फड़फड़ाते साढ़े सात इंच के लंड को निकाला और मुँह में ले लिया और उसे मजे से चूसने लगी।
मुझे बड़ा मजा आ रहा था ….15 मिनट बाद मेरा पानी निकला और वो चूसने लगी… मुझे काफी मजा आया..
फिर 10 मिनट में हमने कुछ खाया और फिर मैंने उसकी चूत में अपना लौड़ा डाला ..
वो पहली बार चुद रही थी इसलिए मैंने उसकी चूत में आराम से अपना लंड डाला। थोड़ा अन्दर जाने के बाद वो चिल्लाई- रोहित, निकालो इसे ! मुझे दर्द हो रहा है !
मैं बोला- थोड़ी देर बाद अच्छा लगेगा …थोड़ा सहन कर लो इसे …
वो बोली- ठीक है…
फिर मैंने चुदाई चालू रखी … थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो बोली- रोहित, और तेज़ चोदो ! फाड़ दो मेरी चूत को…
मैंने और तेज़ चोदना शुरू किया। थोड़ी देर में वो झड़ गई .. मुझे काफी मजा आ रहा था, मैं लगातार चोदता रहा … थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया। उसने मेरा पानी अपने मुँह में पी लिया। फिर मैंने उसकी गांड भी मारी। हमने काफी मजा किया… पर उसकी भाभी ने हमें पकड़ लिया और फिर मैंने उसे भी लंड का स्वाद चखाया …उसकी भाभी की चुदाई अगली कहानी में …
मुझे मेल करना मत भूलना …


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