मित्रो.. यहाँ यह मेरा पहला प्रयास है। मेरे द्वारा प्रस्तुत कहानी.. एक सत्य घटना पर आधारित है।
एक बार मैं जबलपुर से रायपुर जा रहा था। पहले मैंने ट्रेन से जाने की सोची.. पर भीड़ की वजह से मैंने अपना इरादा बदल दिया। फिर मैंने बस से जाने की सोची.. तो एक स्लीपर का टिकट बुक करा लिया। बस रात को चलती थी और दूसरे दिन रायपुर पहुँचाती थी। एक स्लीपर इतना चौड़ा होता है.. कि दो आदमी उस पर आराम से सो सकें।
एक बार मैं जबलपुर से रायपुर जा रहा था। पहले मैंने ट्रेन से जाने की सोची.. पर भीड़ की वजह से मैंने अपना इरादा बदल दिया। फिर मैंने बस से जाने की सोची.. तो एक स्लीपर का टिकट बुक करा लिया। बस रात को चलती थी और दूसरे दिन रायपुर पहुँचाती थी। एक स्लीपर इतना चौड़ा होता है.. कि दो आदमी उस पर आराम से सो सकें।
बस चलने लगी.. उसमें सिर्फ कुछ सीटें ही खाली थीं। वो भी लोकल सवारियों से भर गई थीं। ठंड का सीजन होने के कारण सारी सवारियाँ अपने-अपने कंबलों में दुबकी पड़ी थीं और बस अपनी रफ्तार से भाग रही थी।
मुझे बस में नींद नहीं आती है तो मैं यू-टूयूब पर एक विदेशी मूवी देख रहा था।
मुझे बस में नींद नहीं आती है तो मैं यू-टूयूब पर एक विदेशी मूवी देख रहा था।
तभी अचानक बस जोर से रूकी.. शायद कोई सवारी चढ़ी थी। क्लीनर उस सवारी को लेकर पीछे आया।
मैंने नीचे झाँककर देखा तो देखता ही रह गया, वो कोई 20-22 साल की सुंदर सी लड़की थी, जींस और टॉप पहने हुए थी।
क्लीनर ने उसे दो सीटें दिखाईं.. पर दोनों उसे पसंद नहीं आईं।
मैंने नीचे झाँककर देखा तो देखता ही रह गया, वो कोई 20-22 साल की सुंदर सी लड़की थी, जींस और टॉप पहने हुए थी।
क्लीनर ने उसे दो सीटें दिखाईं.. पर दोनों उसे पसंद नहीं आईं।
हर सीट पर ट्रेन की तरह दो सवारी बैठी थीं। फिर क्लीनर ने उसे मेरी सीट दिखाई.. तो वह तैयार हो गई.. पर वह खिड़की की तरफ बैठने की जिद करने लगी।
मैंने हामी भर दी, मुझे और क्या चाहिये था।
मैंने हामी भर दी, मुझे और क्या चाहिये था।
वह कान में इयरफोन लगाकर लेट गई।
मेरे मोबाइल पर अभी भी फिल्म चल रही थी.. फर्क इतना था कि पहले वह खुलेआम चल रही थी, अब मैं उसे अपने कंबल के नीचे देख रहा था।
उसके सोने का इंतजार करते-करते ना जाने कब मुझे झपकी आ गई.. पता ही ना चला।
जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मेरे मोबाइल पर अभी भी फिल्म चल रही थी लेकिन वह उस लड़की के हाथ में था, वह उसे देखत-देखते गरम हो रही थी, उसका एक हाथ उसकी जींस के अन्दर था।
मेरे मोबाइल पर अभी भी फिल्म चल रही थी.. फर्क इतना था कि पहले वह खुलेआम चल रही थी, अब मैं उसे अपने कंबल के नीचे देख रहा था।
उसके सोने का इंतजार करते-करते ना जाने कब मुझे झपकी आ गई.. पता ही ना चला।
जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मेरे मोबाइल पर अभी भी फिल्म चल रही थी लेकिन वह उस लड़की के हाथ में था, वह उसे देखत-देखते गरम हो रही थी, उसका एक हाथ उसकी जींस के अन्दर था।
मैं चुपचाप उसके गरम होने का इंतजार कर रहा था। तभी उसके मुँह से सिसकारी सी निकली और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं..
मुझे लगा यही सही मौका है.. देखो मौका.. मारो चौका।
मुझे लगा यही सही मौका है.. देखो मौका.. मारो चौका।
मैंने अपना हाथ उसके टॉप के ऊपर से उसके सीने पर रख दिया, फिर कोई प्रतिक्रिया ना देखकर मैंने उसे दबाया.. तो उसके मुँह से सिसकारी सी निकली।
मैं समझ गया कि लोहा गरम है मार दो हथौड़ा..
मैं समझ गया कि लोहा गरम है मार दो हथौड़ा..
मैंने अपना हाथ का दबाव उसके सीने पर बढ़ा दिया, ऐसा करके मैंने अपनी दूध मसकने की स्पीड बढ़ा दी।
फिर मैंने अपने हाथ को उसके टॉप के अन्दर डाला। आह्ह.. मजा आ गया.. ऐसा लगा.. जैसे मक्खन के दो गोले हाथ में पकड़ लिए हों।
अनेकों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर..
उसका दिल जोरों से धड़क रहा था।
फिर मैंने अपने हाथ को उसके टॉप के अन्दर डाला। आह्ह.. मजा आ गया.. ऐसा लगा.. जैसे मक्खन के दो गोले हाथ में पकड़ लिए हों।
अनेकों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर..
उसका दिल जोरों से धड़क रहा था।
तभी उसने मेरी और करवट ली.. जिससे उसके मम्मे बिलकुल मेरे मुँह के सामने आ गए। उसने अपना टॉप ऊपर करके अपने दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया, मैंने उनमें से एक को मुँह में लेकर चूसना आरंभ किया। किशमिश जैसे उसके निप्पल चूसने में बड़ा मजा आ रहा था।
वह मजे से ‘आउ.. आह..’ कर रही थी।
फिर मैंने अपने एक हाथ को उसकी उसकी जींस के अन्दर डाल दिया.. तो उसने एक बार मेरा हाथ रोकने की कोशिश की.. तो मैंने उसका मुलायम हाथ पकड़ लिया, मैंने अपना हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर डाल दिया।
फिर मैंने अपने एक हाथ को उसकी उसकी जींस के अन्दर डाल दिया.. तो उसने एक बार मेरा हाथ रोकने की कोशिश की.. तो मैंने उसका मुलायम हाथ पकड़ लिया, मैंने अपना हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर डाल दिया।
वाह.. क्या मस्त अनुभव था, छोटे-छोटे से मुलायम रेशे.. उसके पीछे छिपी कसी हुई संतरे की दों नरम गीली सी फाँकें.. मैंने अपनी एक उंगली अन्दर की.. तो वो अन्दर ही नहीं गई।
मैंने जोर लगाया तो उसके मुँह से सिसकारी निकली।
मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया और अपनी उंगली की स्पीड बढ़ा दी, उसने मुझे जोरों से पकड़ लिया।
फिर अचानक मुझे अपने प्यारेलाल पर कुछ दबाव महसूस हुआ मैंने छूकर देखा तो उसका हाथ था। मेरा 7″ इंच लंबा प्यारेलाल.. पहले से ही फनफना रहा था, वह उसे सहलाते हुए आगे-पीछे करने लगी।
मैंने जोर लगाया तो उसके मुँह से सिसकारी निकली।
मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया और अपनी उंगली की स्पीड बढ़ा दी, उसने मुझे जोरों से पकड़ लिया।
फिर अचानक मुझे अपने प्यारेलाल पर कुछ दबाव महसूस हुआ मैंने छूकर देखा तो उसका हाथ था। मेरा 7″ इंच लंबा प्यारेलाल.. पहले से ही फनफना रहा था, वह उसे सहलाते हुए आगे-पीछे करने लगी।
मैंने अपना कंबल सिर से ओढ़ लिया और उसकी जींस पैन्टी सहित पैरों से नीचे खिसका दी।
उसके दोनों पैर अपने दोनों कंधों पर रखे। अचानक मुझे कुछ याद आया.. मैंने अपने बैग से कोल्ड-क्रीम की शीशी निकाली और उसकी प्यारी चूत पर लगा दी।
उसके दोनों पैर अपने दोनों कंधों पर रखे। अचानक मुझे कुछ याद आया.. मैंने अपने बैग से कोल्ड-क्रीम की शीशी निकाली और उसकी प्यारी चूत पर लगा दी।
उसे गुदगुदी सी हुई.. वह हँस पड़ी।
फिर मैंने अपने 7″ इंच लंबे प्यारेलाल को उसकी रामप्यारी पर रगड़ा.. तो उसके मुँह से सिसकारी सी निकली।
तब मैंने दो उंगलियों से उसकी दोनों फांकों को खोला.. और अपने टोपे को उस पर रखा, तभी किसी गड्डे में बस जोर से उचकी.. उसी धक्के से मेरा आधा प्यारेलाल अन्दर चला गया।
उसके मुँह से जोर की चीख निकली, लेकिन उससे पहले ही मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया।
फिर मैंने अपने 7″ इंच लंबे प्यारेलाल को उसकी रामप्यारी पर रगड़ा.. तो उसके मुँह से सिसकारी सी निकली।
तब मैंने दो उंगलियों से उसकी दोनों फांकों को खोला.. और अपने टोपे को उस पर रखा, तभी किसी गड्डे में बस जोर से उचकी.. उसी धक्के से मेरा आधा प्यारेलाल अन्दर चला गया।
उसके मुँह से जोर की चीख निकली, लेकिन उससे पहले ही मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया।
अब रास्ता गड्डो से भरा था, मैं अगले गड्डे का इंतजार करने लगा.. तभी फिर से एक गड्डे में बस उचकी.. और उसी धक्के में मैंने बाकी का लौड़ा पूरा अन्दर कर दिया, उसके मुँह से घुटी-घुटी सी चीख निकली।
अगर मैंने उसका मुँह नहीं दबाया होता.. तो वह चीख इतनी तेज थी कि पूरी बस गूंज जाती।
अगर मैंने उसका मुँह नहीं दबाया होता.. तो वह चीख इतनी तेज थी कि पूरी बस गूंज जाती।
फिर कुछ देर बाद धीरे-धीरे मैंने आगे-पीछे करना शुरू किया। कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा। वह भी कमर उठा-उठा कर साथ देने लगी। मैंने जोर-जोर से झटके मारना शुरू कर दिए।
उसके मुँह से बड़बड़ाहट निकल रही थी- फक मी हार्ड.. फक मी..हार्ड..
उसके मुँह से बड़बड़ाहट निकल रही थी- फक मी हार्ड.. फक मी..हार्ड..
मैं चोदता हुआ जब भी पूरा पप्पू चूत की जड़ तक ठेलता तो उसके मुँह से ‘यस.. यस..’ की आवाज निकलने लगती।
मैंने अपना मुँह उसके कान के पास ले जाकर कहा- ज्यादा शोर मत करो.. कोई जाग जाएगा..
तो उसने कहा- मैं तो सातवें आसमान में उड़ रही हूँ।
मैंने नीचे देखा कि पूरी बस में सन्नाटा छाया था।
मैंने अपना मुँह उसके कान के पास ले जाकर कहा- ज्यादा शोर मत करो.. कोई जाग जाएगा..
तो उसने कहा- मैं तो सातवें आसमान में उड़ रही हूँ।
मैंने नीचे देखा कि पूरी बस में सन्नाटा छाया था।
दस मिनट के बाद मुझे ऐसा लगा.. जैसे उसका शरीर अकड़ने लगा, उसके मुँह से निकला- आह्ह.. मैं झ..झड़ने वाली हूँ..
मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, कुछ देर बाद ही एक तेज ‘आह्ह..’ की आवाज के साथ ही उसकी प्यारी ने ढेर सारा प्रेमरस छोड़ दिया।
लगभग दस मिनट बाद मेरा भी सिग्नल हरा हो गया, मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ?
मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, कुछ देर बाद ही एक तेज ‘आह्ह..’ की आवाज के साथ ही उसकी प्यारी ने ढेर सारा प्रेमरस छोड़ दिया।
लगभग दस मिनट बाद मेरा भी सिग्नल हरा हो गया, मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ?
उसने मेरे गाल पर एक पप्पी देते हुए कहा- अन्दर ही आने दो राजा.. मैं तुम्हें महसूस करते रहना चाहती हूँ, मैं इसका इंतजाम कर लूंगी।
मैं ताबड़तोड़ झटके मारता हुआ उसकी चूत में झड़ गया।
मैं ताबड़तोड़ झटके मारता हुआ उसकी चूत में झड़ गया।
कुछ पलों बाद उसने अपने रूमाल से मेरे प्यारेलाल और अपनी प्यारी को रगड़-रगड़ कर साफ किया।
फिर वह मेरे ऊपर आ गई.. और मेरी छाती से चिपककर लेट गई, उसने मेरे होठों पर किस किया।
मैंने कहा- ऐसा मत करो.. अभी मेरा प्यारेलाल जाग जाएगा।
तो उसने कहा- कोई बात नहीं.. मेरी प्यारी भी उससे गले मिलने तैयार हो जाएगी।
फिर वह मेरे ऊपर आ गई.. और मेरी छाती से चिपककर लेट गई, उसने मेरे होठों पर किस किया।
मैंने कहा- ऐसा मत करो.. अभी मेरा प्यारेलाल जाग जाएगा।
तो उसने कहा- कोई बात नहीं.. मेरी प्यारी भी उससे गले मिलने तैयार हो जाएगी।
तभी बस एक झटके से रूकी, क्लीनर की आवाज आई- बस यहाँ आधा घंटा रूकेगी..
मैंने उससे कहा- चलो कुछ खा लेते हैं।
वो बोली- हाँ.. मुझे भी भूख सी लग रही है।
दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए और नीचे उतर आए.. देखा तो कोई छोटी जगह थी।
मैंने उससे कहा- चलो कुछ खा लेते हैं।
वो बोली- हाँ.. मुझे भी भूख सी लग रही है।
दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए और नीचे उतर आए.. देखा तो कोई छोटी जगह थी।
मैंने उसकी और देखकर पूछा- क्या खाओगी..
उसने कहा- पिज्जा और बर्गर..
मैं हँसकर बोला- अरे मैडम यहाँ चाय चिप्स के अलावा कुछ मिल जाए तो बड़ी बात है।
उसने कहा- पिज्जा और बर्गर..
मैं हँसकर बोला- अरे मैडम यहाँ चाय चिप्स के अलावा कुछ मिल जाए तो बड़ी बात है।
फिर एक बड़ा वाला कुरकुरे और चिप्स का पैकेट लिया और 2 काफी लीं। काफी की चुस्कियों के बीच उसने बताया- मेरा नाम नेहा पांडे है.. मैं रायपुर के इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ती हूँ.. और तुम?
‘मुझे मेरे चाहने वाले आर्यन कहते हैं। मैं एक मल्टीनेशनल आईटी कंपनी में रीजनल मैंनेजर हूँ।’
‘मुझे मेरे चाहने वाले आर्यन कहते हैं। मैं एक मल्टीनेशनल आईटी कंपनी में रीजनल मैंनेजर हूँ।’
वो चुस्की लेने लगी।
मैंने कहा- यह पहला मामला होगा.. जिसमें परिचय बाद में हुआ.. पहले सब कुछ हो गया।
उसने हँसते हुए आँख मारते हुए कहा- अभी सब कुछ कहाँ हुआ है।
मैंने कहा- अभी कुछ बाकी है क्या?
उसने हँसते हुए कहा- यह तो बदन की आग है.. आगे-आगे देखिए होता है क्या..
मैंने कहा- यह पहला मामला होगा.. जिसमें परिचय बाद में हुआ.. पहले सब कुछ हो गया।
उसने हँसते हुए आँख मारते हुए कहा- अभी सब कुछ कहाँ हुआ है।
मैंने कहा- अभी कुछ बाकी है क्या?
उसने हँसते हुए कहा- यह तो बदन की आग है.. आगे-आगे देखिए होता है क्या..
कृपया अपनी राय व सुझाव मुझे ई-मेल करें.. मुझे मेल जरूर करें.. आपकी प्रतिक्रिया के बाद ही मैं अगली कहानी लिखूँगा।
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